'दशरथ घाट' में राम ने किया था पिता का तर्पण लेकिन आज भी पर्यटन की मुख्य धारा से कोसो दूर

ऋषियों की तपोस्थली के रूप में चित्रकूट विश्वविख्यात है और महाराज दशरथ का तर्पण वनवास श्रीराम ने इस वनांचल में किया था जिसे हम दशरथ घाट के रूप में जानते हैं । विंध्य की पर्वत श्रेणी से लगा हुआ ,प्राकृतिक छटाओ से लदा हुआ ,शांत एकांत दुर्गम क्षेत्र को जीवंतता प्रदान करता हुया दशरथ घाट अपने आप मे पौराणिक कथाओं को समेटे हुए हैं

जुलाई 16, 2024 - 18:02
जुलाई 16, 2024 - 18:15
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'दशरथ घाट' में राम ने किया था पिता का तर्पण लेकिन आज भी पर्यटन की मुख्य धारा से कोसो दूर

ऋषियों की तपोस्थली के रूप में चित्रकूट विश्वविख्यात है और महाराज दशरथ का तर्पण वनवास श्रीराम ने इस वनांचल में किया था जिसे हम दशरथ घाट के रूप में जानते हैं । विंध्य की पर्वत श्रेणी से लगा हुआ ,प्राकृतिक छटाओ से लदा हुआ ,शांत एकांत दुर्गम क्षेत्र को जीवंतता प्रदान करता हुया दशरथ घाट अपने आप मे पौराणिक कथाओं को समेटे हुए हैं । कालांतर में समय के साथ बदलाव आते गए और पौराणिक स्थल आज भी बदहाली का दंश झेल रहे हैं। दशरथ की चट्टानों में बनी मूर्तियां अपनी जीवंतता की स्वयं गवाही दे रही हैं।

मूर्तियों को गढ़ने में महीन कारीगरी का प्रयोग किया गया है जिसे देखकर स्पस्ट होता है कि किसी समृद्ध राजवंश ने इसे बनवाया था जो भी आज भी एक अबूझ पहेली है। विकास खंड मऊ की ग्राम पंचायत खंडेहा में हनुमानगंज के पास दशरथ घाट स्थित है। मान्यता है कि वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम ने यहां एक दिन का प्रवास किया था। यहीं पर उन्हें पिता दशरथ की मृत्यु का समाचार मिला था।

यहीं उन्होंने विंध्य पर्वत से निकलने वाले झरने में पिता में श्रद्धांजलि अर्पित की थी। इसी के बाद इस स्थान को दशरथ घाट के नाम से जाना गया। शनिवार को यहां ग्रामीणों ने एक पत्थर पर पद चिह्न देखे। इनमें बड़े और छोटे दो आकार के पैरों के निशान हैं। दूर-दराज से लोगों का बहुत बडी संख्या में जाना हो रहा है। हालांकि ये साफ नहीं हो सका कि ये पदचिह्न कहां से आए। महत्वपूर्ण तथ्य ये भी है कि यह स्थान लोखरी (लौरी) से काफी पास में हैं जो कि एक बड़ा पुरातात्विक स्थल है ।

 इससे ये अनुमान लगाया जा सकता है दशरथ घाट भी अत्यंत प्राचीन है और यहां चट्टानो पर उकेरी गई आकृतियां भी प्राचीन रहस्यमयी है जिसमे शोध की महती आवश्यकता है। चित्रकूट ऋषियों की साधनाभूमि है और इस भूमि को वनवासी श्री राम ने अपनी कर्मभूमि बनाया था। कहा जाता है की दथरथ घाट में  श्री राम ने महराज दशरथ का तर्पण कर पितृऋण से मुक्ती पाई  थी । सांस्कृतिक विरासत को बचाने की आवश्यकता है तथा इसके संरक्षण कर इसे संवारने की आवश्यकता है।

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Anuj Hanumat अनुज हनुमत बुन्देलखण्ड के जाबांज एवं तेजतर्रार पत्रकार हैं। श्री हनुमत धर्मनगरी चित्रकूट के पाठा इलाके के निवासी हैं। पूरब के आक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रहे अनुज हनुमत पिछले आठ वर्षों से पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय हैं। इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया से सम्बंधित कई बड़े ब्रांड के साथ अनुज हनुमत काम कर चुके हैं। मौजूदा समय मे अनुज हनुमत देश के प्रतिष्ठित नेशनल चैनल JK news 24× 7 में कार्यरत हैं और Ground Zero वेब न्यूज चैनल के एडिटर इन चीफ हैं। इसके साथ ही बुन्देखण्ड के पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु भी लगातार सक्रिय हैं। वर्ष 2020 में उन्हें लखनऊ में आयोजित नेशनल यूथ फेस्टिवल में चित्रकूट से "यूथ आइकॉन" का अवार्ड भी मिल चुका है। महात्मा गांधी और गणेश शंकर विद्यार्थी को अपना आदर्श मानने वाले श्री हनुमत की ग्रामीण पत्रकार पर अच्छी पकड़ है । इसके साथ ही देश के मिनी चम्बल कहे जाने वाले चित्रकूट के पाठा इलाके में जाबांज पत्रकारिता कर डकैतो को समाप्त करने में पुलिस की मदद की । मौजूदा समय मे श्री हनुमत पत्रकारिता के साथ साथ सामाजिक कार्यो में भी सहयोग कर रहे हैं । कोरोना संकटकाल के दूसरे फेज में उनके नेतृत्व में संस्थान ने चित्रकूट के लगभग 15000 हजार आदिवासी परिवारों को मुफ्त राशन सामग्री उपलब्ध कराई । इसके साथ ही संस्थान द्वारा पत्रकार साथियो को भी किट उपलब्ध कराई गई।