History : पढ़ें चित्रकूट के लौरी (लोखरी) गाँव का रहस्य
रहस्य में आज पढ़ें …. लोखरी (लौरी) गाँव का रहस्य
लोखरी किला मध्यकालीन इतिहास का गवाह है, जबकि 64 योगिनी मंदिर हज़ारों वर्षों पूर्व देवी पूजा व आस्था को दिखाता है। वर्तमान में दोनों ध्वस्त हो चुके हैं और मंदिर में अधिकतर मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं। यह पहले बांदा जिले में था और अब चित्रकूट का हिस्सा है, मऊ तहसील की लौरी ग्राम पंचायत अंतर्गत स्थित किला व मंदिर कभी स्थापत्य शिल्प का बेजोड़ नमूना हुआ करता था। चित्रकूट में लौरी (लोखरी) के प्राचीन किले और चौसठ योगिनी मन्दिर के अवशेष आज भी हमारी संस्कृति के मजबूत पक्ष की जीवन्त कहानी को बयां कर रहे हैं ।
फिलहाल यहां से अधिकांश मूर्तियां चोरी हो गईं हैं और जो अवशेष हैं वो खंडित है। लोखरी (लौरी) के इन ऐतिहासिक स्थलों पर अगर शोध हो और इन्हें सरंक्षित किया जाये तो बुन्देलखण्ड के इतिहास से जुड़े कई अनसुलझे रहस्यों से पर्दा उठ सकता है। लौरी , चित्रकूट जनपद मुख्यालय से तकरीबन 50-55 किमी दूर स्थित है । इतिहासप्रेमी इस स्थान जरूर जाएं और चित्रकूट के समृद्ध इतिहास का अवलोकन करें मऊ में लालता रोड से हनुमानगंज जाने वाले रास्ते में करीब 10 किमी की दूरी पर लौरी का किला लगभग चार किमी की परिधि में है। किले में सुंदर नक्काशी है।
उत्तरी हिस्से में प्राकृतिक गुफा में दो प्राचीन शिवलिंग है। गुफा के बाहरी भाग में चट्टान पर हाथी की सूंड को शानदार तरीके से उकेरा गया है।यहां प्राचीन हथिया तालाब के बीच में हाथी की पाषाण प्रतिमा है जिसमें किसी तरह की प्राचीन भाषा भी अंकित है ।क़िले के पूर्वी भाग में 64 योगिनी मंदिर है। अब मंदिर में करीब आधा दर्जन मूर्तियां हैं, जो खंडित हैं। चोरी गई सभी मूर्तियाँ में से कुछ ही जानकारी में हैं बाक़ी मूर्तियों का आज तक पता नहीं लगा।
मूर्तियों में एक रैपुरा थाना परिसर के मंदिर में प्रतिष्ठित है, जबकि दो मूर्ति दिल्ली के म्यूजियम में रखी है, जो विभिन्न देशों से लाई गई थी।चित्रकूट के स्वर्णिम प्राचीन इतिहास से बड़े पैमाने पर छेड़खानी की गई जिसकी जाँच आवश्यक है । सबसे अहम बात ये है की लोखरी एक बड़ी और महत्वपूर्ण पुरातात्विक साइट है जहां इतिहासकारों को काम करने की ज़रूरत है ।
लोखरी गांव में जगह जगह मौजूद हैं प्राचीन मूर्तियां
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