चित्रकूट की जीवनधारा गंदे नालों की वजह से हो रही प्रदूषित
सबसे प्राचीन नदियों में से शुमार हमारी मंदाकिनी नदी जिसका पौराणिक महत्व माता माता अनुसुइया और भगवान राम से जुड़ा है ।आज वह नदी अपने वजूद को लेकर संघर्ष कर रही है ।सच तो ये है कि गंदगी और प्रदूषण से हमारी मां मंदाकिनी कराह रही है ।
सबसे प्राचीन नदियों में से शुमार हमारी मंदाकिनी नदी जिसका पौराणिक महत्व माता माता अनुसुइया और भगवान राम से जुड़ा है ।आज वह नदी अपने वजूद को लेकर संघर्ष कर रही है ।सच तो ये है कि गंदगी और प्रदूषण से हमारी मां मंदाकिनी कराह रही है । लेकिन मंदाकिनी की स्वच्छता को लेकर सरकार और हम जनता द्वारा किये जा रहे प्रयास फिलहाल ढकोसला ही समझ आ रहे हैं। सरकारी लापरवाही का आलम ये है कि लाखों लोगों की सेहत के साथ लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है । हमारे हाथ कुछ सरकार आंकड़े लगे है जिसके बाद आप खुद दांतो तले उंगलियां दबा लेंगे। असल मे पिछले वर्ष की शुरुआत में नगर पालिका प्रशासन द्वारा जल निगम को एक पत्र लिखते हुए ये बताया गया था कि नगर पालिका क्षेत्र में कुछ 16 नाले ऐसे हैं जिनकी पूरी गन्दगी सीधे मंदाकिनी में गिरती है। आपको ये भी जानना जरूरी है कि इसी मंदाकिनी नदी से चित्रकूट जिला मुख्यालय ,सीतापुर और पहाड़ी के कई गांवों में पेयजल आपूर्ति की जाती है । ऐसे में शुद्ध पेयजल की कल्पना करना भी थोड़ा मुश्किल लगता है । ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि आम लोगो के ऊपर इतनी बड़ी मुसीबत लगातार बढ़ने क्यों दी जा रही है । इसके लिए कोई ठोस नीति क्यों नही बनाई गई । आखिर शासन ने जिला प्रशासन द्वारा भेजी गई रिपोर्ट का संज्ञान क्यों नही लिया । क्या लाखों लोगों की जिन्दगी का कोई मोल नही । सबसे खास बात ये भी है कि मंदाकिनी नदी इन नालों के कारण लगातार प्रदूषित भी हो रही है । कुछ महीनों पहले अभी जिला मुख्यालय में कई वार्डो में गन्दे पानी के सप्लाई की खबर सामने आई थी जिसके बाद आनन फानन में प्रशासन ने एक्शन लेते हुए स्थिति में कुछ किया था । लेकिन ये खतरे की घण्टी है अगर सरकार ने ठोस उपाय नही किये तो जल्द ही लाखो लोगो की जिंदगी मुसीबत में आ जायेगी। हमने जब सरकारी सूत्रों से इस मामले पर जानकारी प्राप्त करनी चाही तो पता लगा कि ये 16 नालों का आंकड़ा तो अभी सिर्फ सरकारी है और नगर पालिका क्षेत्र का है ।अगर हम इसके बाहर समूचे जिले का आंकलन करे जहां जहां से मंदाकिनी नदी बहकर जाती तो स्थिति और भी भयावह मिलेगी । जानकारों की माने तो लगभग आधा सैकड़ा गन्दे नालों का पानी मंदाकिनी में सीधे गिर रहा है जिससे नदी लगातार प्रदूषित होती जा रही है । ऐसे में नमामि गंगे जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में करोड़ो फूंकने वाली सरकारों को ध्यान देना होगा कि धरातल पर कैसे योजनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है । धर्मनगरी चित्रकूट की लाइफलाइन के रूप में जानी जाती है मंदाकिनी नदी ,बावजूद इसके किसी को इस बात की फिक्र नही । ये बात बात भी सच है कि अगर मंदाकिनी नदी खत्म हों जायेगी या पूरी तरह प्रदूषित हो जाएगी तो समझिए हम सबका भी कोई मोल नही रह जॉयेगा । उन मंदाकिनी पुत्रो को भी अपने अंदर झांकने की जरूरत है जो सालभर मंदाकिनी नदी की साफ सफाई और रखरखाव को लेकर फोटास रोग तक ही सीमित रहते हैं। अब देखना होगा कि रामजादो की सरकार क्या राम की मंदाकिनी को पापियों के चंगुल से गन्दे होने से बचा पाती है ।
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