हो गया श्रीराम की जन्मभूमि का विकास , कब होगा चित्रकूट का कायाकल्प
भगवान राम अपनी पत्नी और अनुज के साथ वनवास काल के दौरान इसी कामतानाथ पर्वत की परिक्रमा किया करते थे । वनवासी राम का ही व्यक्तित्व सम्पूर्ण विश्व मे पूजा जाता है और इसी कारण जन्म स्थान अयोध्या से ज्यादा कर्मभूमि चित्रकूट का महत्व है । आज रामनवमी का पर्व है जिसे सम्पूर्ण देश पूरे प्रेम और उत्साह से घरों में रहकर मना रहा है । बाबा तुलसी की मानें तो राम के लिए चित्रकूट बहुत अधिक प्रिय था क्योंकि यहां उन्होंने जीवन के संघर्ष का सार जाना और अपने व्यक्तित्व को तपाकर आगे वो हर लड़ाई में सफल हुए। रामनवमी के दिन आज चित्रकूटवासी अपना दर्द साझा करना चाहते हैं ।
जिन राम को जन्मभूमि से ज्यादा कर्मभूमि प्रिय थी ,उस पवित्र क्षेत्र का विकास क्यों नही किया गया ? जिन बाबा तुलसी ने उनके व्यक्तित्व को जन-जन तक पहुँचाया उनकी जन्मभूमि राजापुर का विकास अब तक शून्य क्यों रहा ? जिस पवित्र भूमि के कण कण में राम बसते हैं और जहां अध्यात्म का वास हो,आखिर उस पवित्र नगरी में अब तक राम से जुड़े व्यक्तित्व के शोध का सबसे बड़ा केंद्र क्यों नही स्थापित किया गया ? मानव जीवन कैसे सर्वश्रेष्ठ हो कैसे सफल हो , इसके लिए राम का मर्यादित जीवन सबसे अच्छा उदाहरण है और इसी मानव जीवन को कैसे अधिक बेहतर बनाया जाये इसके लिए चित्रकूट को केंद्र बनाकर यहां मानव जीवन पर शोध हेतु एक विश्वविद्यालय होना चाहिए ।
चित्रकूट को कंक्रीट वाले जंगल जैसा विकास नही चाहिए बल्कि यहां की प्राकृतिक सौम्यता ही यहां के विकास का स्थायी सच है । जिन कोल-भीलों ने सर्वप्रथम श्रीराम के दर्शन किये और फिर सेवा की उनका विकास आज तक नही हुआ । अगर राम का चरित्र पुनः जन जन के ह्रदय और चरित्र में उकेरना है तो हमे धर्मनगरी चित्रकूट को केंद्र बनाकर राम को आदर्श मानकर मानव जीवन पर बड़ा शोध करना होगा ..
Anuj Hanumat (Founder of Chitrakoot A Cultural Heritage)
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