Chitrakoot News: शहीदों की याद में मारकुंडी में बने स्मारक की नहीं हो रही देखरेख
शहीद स्मारक की उपेक्षा, किसी को इनके सम्मान की नहीं है चिंता !
चित्रकूट, मानिकपुर
जरा याद करो कुर्बानी .... 1857 की क्रांति को हम आजादी की पहली लड़ाई मानते हैं, लेकिन उससे पहले और बाद में अंग्रेजी सरकार से कितनी ही लड़ाईयां ऐसी हुईं जिनकी जानकारी ही नहीं है। असंख्य भारतीयों की कुर्बानी देकर हम आज खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं, इन कुर्बानियों को हमें कभी नहीं भुलाना चाहिए। लेकिन मारकुंडी में शहीदों की याद में बने स्मारक को सब भूल गए हैं। स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर कभी भी कोई एक फूल चढ़ाने नहीं आता है। मारकुंडी स्थित शहीद स्मारक मौजूदा समय अनदेखी का शिकार है।
स्थानीय प्रशासन या किसी भी जनप्रतिनिधियों द्वारा स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस को याद नहीं किया जाता। स्मारक के जीर्णोद्धार कार्य करने की तरफ कोई पहल नहीं किया जाता है। लिहाजा स्मारक का धीरे- धीरे अस्तित्व मिटता जा रहा है। इस दिशा में शासन प्रशासन के लोगों की कोई नजर नहीं है।
शहीदों के स्वजनों ने भी इसकी आवाज बुलंद की थी। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। यह स्मारक मारकुंडी, किहुनिया गांव के रणबांकुरे शहीद साधूराम द्विवेदी और रामनिवास शुक्ला की शहादत की याद में बना है। दोनों वीर सपूतों ने अंग्रेजी हुकूमत का बगावत करते हुए स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी। उनके साहस को आज भी लोग सलाम करते है।
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