Special Report : आजादी के बाद से आज तक चूल्ही गांव की नही बदली तस्वीर !

सितम्बर 30, 2024 - 10:22
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Special Report : आजादी के बाद से आज तक चूल्ही गांव की नही बदली तस्वीर !

पहले अंग्रेजो ने गुलाम बनाये रखा , फिर दादूओ ने शोषण किया, फिर ददुआ के आतंक ने तोड़ा , फिर छुटभैये डकैतों ने आबरू लूटी और अब सिस्टम & सियासत बची हुई उम्मीद तोड़ रहा है । कई पीढ़ियों की आंखे पथरा गई उस उम्मीद पर टकटकी लगाए की शायद अब सड़क मयस्सर होगी ,अब गांव की कोई भी प्रसव से पीड़ित महिला अस्पताल पहुचने से पहले दम न तोड़ेगी ! बच्चे हसंते खेलते शिक्षा क्षेत्र में झंडे गाड़ेंगे , गांव का जुड़ाव शहर से होगा । लेकिन मानिकपुर विकासखण्ड के चूल्हि गांव के ग्रामीणों की ये उम्मीदें बीते 75 बरस से सिर्फ उम्मीदें ही हैं। कब गांव तक सड़क बनेगी किसी को नही पता ! कल जब चित्रकूट के पाठा इलाके में मौजूद इस गांव में अपनी टीम के साथ मैं गया तो यकीन नही हुआ कि जिस विकासखण्ड में विकास के लिए करोड़ो का बजट आता है ,जिस तहसील में जिम्मेदार अधिकारी बैठते हैं उन सरकारी कार्यालयों से महज 5-6 किमी दूर एक गांव ऐसा भी है जहां आज भी सड़क न होने कारण जीवन ठहरा सा है ।

एक तरफ देश में नेशनल हाइवे और एक्सप्रेस-वे के निर्माण का विश्व रिकार्ड बनाया जा रहा है वहीं पाठा के चूल्हि, बड़ेहार जैसे कई ऐसे गांव हैं जहां आज तक सड़क नही बन पाई । आखिर क्या दोष है इन गांव वालों का? यही की ये कोल आदिवासी हैं? या अशिक्षित हैं या फिर इनकी आवाज उठाने वाला कोई नही ? वजह क्या है! ऐसे गांवो के प्रधान भी रबर स्टाम्प की तरह होते हैं जिनकी चाभी किसी दादू या दबंग के हाथ होती है। अधिकारी ऐसे गांवो में जाना नही चाहते कहीं कीचड़ लग गया या गाड़ी फंस गई तो क्या होगा ? नेता/जनप्रतिनिधि ऐसे गांव कभी भी इसलिए नही घुसना पसन्द करते क्योंकि चुनावी मुद्दे जो खत्म हो जाएंगे और मौजूदा राजनीतिक कलेवर बुरा मान जाएगा ! सिस्टम और सियासत की बेरुखी का फायदा ठेकेदार ,जेई, सचिव और कुछ अन्य तरह के दबंग उठाते हैं ।

फिर ऐसे गांवो का होता है फाइलों में विकास जो बनाता है " अतुल्य भारत " शर्म करिये और अगर शर्म नही आती तो डूब मरिये चुल्लू भर पानी मे और सोंचिये की अगर आप किसी ऐसे गांव या घर मे पैदा होते तो आपकी क्या औकात होती ? क्या बन पाते आलीशान गाड़ियों में चलने वाले नेता ! बन पाते सरकारी सुविधाओ से लैस नौकरशाह ? बन पाते हैं जागरूक इंसान ? दौड़ पाते विकास की मुख्य धारा की दौड़ में ? "नही"

 मैं मांग करता हूँ जिले के जिलाधिकारी,मुख्य विकास अधिकारी, मानिकपुर तहसील के उपजिलाधिकारी और ब्लाक प्रमुख से की पाठा के ऐसे गांवो को चिन्हित कर जल्द से जल्द सड़क बनाई जाए जिससे शिक्षा ,स्वास्थ्य औए रोजगार से ये उक्त गांव भी जुड़ सके । ऐसे सभी ग्राम पंचायतों के प्रधानों और सचिवो की जांच कराई जाए कि आखिर बीते वर्षो के बजट का हुआ क्या ? खासकर जेई और सचिवो की आय से अधिक संपत्ति की भी जांच कराई जाए ! अपनी माटी की अस्मत लूटकर ऐसे अधिकारी चैन से बैठे हैं और ग्रामीण आज भी परेशान । सवाल ये भी है कि इतने वर्षों में मूलभूत सुविधाएं इन गांवों तक पहुंची क्यों नही ?

- पत्रकार अनुज हनुमत की कलम से ....

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Anuj Hanumat अनुज हनुमत बुन्देलखण्ड के जाबांज एवं तेजतर्रार पत्रकार हैं। श्री हनुमत धर्मनगरी चित्रकूट के पाठा इलाके के निवासी हैं। पूरब के आक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रहे अनुज हनुमत पिछले आठ वर्षों से पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय हैं। इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया से सम्बंधित कई बड़े ब्रांड के साथ अनुज हनुमत काम कर चुके हैं। मौजूदा समय मे अनुज हनुमत देश के प्रतिष्ठित नेशनल चैनल JK news 24× 7 में कार्यरत हैं और Ground Zero वेब न्यूज चैनल के एडिटर इन चीफ हैं। इसके साथ ही बुन्देखण्ड के पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु भी लगातार सक्रिय हैं। वर्ष 2020 में उन्हें लखनऊ में आयोजित नेशनल यूथ फेस्टिवल में चित्रकूट से "यूथ आइकॉन" का अवार्ड भी मिल चुका है। महात्मा गांधी और गणेश शंकर विद्यार्थी को अपना आदर्श मानने वाले श्री हनुमत की ग्रामीण पत्रकार पर अच्छी पकड़ है । इसके साथ ही देश के मिनी चम्बल कहे जाने वाले चित्रकूट के पाठा इलाके में जाबांज पत्रकारिता कर डकैतो को समाप्त करने में पुलिस की मदद की । मौजूदा समय मे श्री हनुमत पत्रकारिता के साथ साथ सामाजिक कार्यो में भी सहयोग कर रहे हैं । कोरोना संकटकाल के दूसरे फेज में उनके नेतृत्व में संस्थान ने चित्रकूट के लगभग 15000 हजार आदिवासी परिवारों को मुफ्त राशन सामग्री उपलब्ध कराई । इसके साथ ही संस्थान द्वारा पत्रकार साथियो को भी किट उपलब्ध कराई गई।